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khaskhabar.com : रविवार, 05 सितम्बर 2021 12:26 PM
शामली (उत्तर प्रदेश) । एक 48 वर्षीय व्यक्ति को पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अपनी 15 वर्षीय बेटी के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडीजे) मुमताज अली ने कहा कि एक पिता का अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म करना एक ‘जघन्य’ अपराध है जो समाज में एक बुरा संदेश भेजता है। मुमताज अली शामली में पॉक्सो अदालत की विशेष न्यायाधीश भी हैं।
यह मामला आरोपी की पत्नी की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने अदालत को बताया कि उसने ‘शादी के बाद सालों तक गाली-गलौज और प्रताड़ना झेली, लेकिन अपनी बेटी के साथ जो हो रहा था, उसे वह सहन नहीं कर सकी।’
लड़की की मां ने कहा कि वह ‘शादी के दिन से ही घरेलू हिंसा’ की शिकार थी।
उसने पुलिस को बताया कि उसके पति ने कभी भी अपनी छह बेटियों को शिक्षा पूरी नहीं करने दी और उनमें से दो की शादी किशोरावस्था में ही कर दी।
उन्होंने आगे कहा, “मैं पूरी रात रोती रही जब मेरी बेटी ने मुझे बताया कि उसके साथ क्या हुआ है। सुबह सबसे पहले मैंने पुलिस को फोन किया। मुझे अपने ससुराल वालों से ताने का सामना करना पड़ा। मुझे पड़ोसियों ने भी नहीं बख्शा हैं। मैं अगले 16 महीनों तक इस सब के लिए खड़ी रही। मैं केवल अपने पति के लिए कड़ी सजा चाहती हूं।”
विशेष लोक अभियोजक ओपी कौशिक ने संवाददाताओं से कहा, “लड़की की मां ने 29 अप्रैल, 2020 को थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। वह अपनी बेटियों के साथ एक कमरे में सो रही थी, तभी उसके पति ने रात करीब तीन बजे फोन किया। 15 साल की लड़की से अपने पैरों की मालिश करने के बहाने कहा। फिर उसने अपराध किया और उसे किसी को न बताने की धमकी दी।”
सरकारी वकील ने कहा, शामली पुलिस ने आईपीसी की धारा 377, और 506 (आपराधिक धमकी) और पोक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।
उन्होंने कहा, “महामारी के बीच महीनों तक अदालत बंद रहने के कारण मामले में लंबा समय लगा। हमने इस मामले में आरोपी की बेटियों और पत्नी सहित सात गवाह पेश किए गए।” (आईएएनएस)
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