मैं शिव शंकर, बिहार का निवासी हूँ और अपने परिवार के साथ अभी दिल्ली में रहता हूँ।
समाजिक कार्यों में रुचि के कारण मैने अपना ग्रेजुएशन का विषय समाजिक अध्ययन के स्वरूप रखा, जिसके कारण मुझे लोगों से मिलना और उनके जीवन शैली से जुड़ने का मौका मिलता है।
मैं कैसे कोरोना पॉजिटिव हुआ?
MHA के अंतर्गत आनेवाली वालंटियर्स इकाई, दिल्ली सिविल डिफेंस में मैं कार्यरत हूँ और अपने कार्य के स्वरूप मुझे दिल्ली सरकार के निर्देश पर कुछ दिनों से कोरोना पीड़ित लोगों की सेवा में तैनात किया गया था। कोरोना मरीजों वा उनके परिजनों को अनेक तरीकों से मदद पहुँचाना और देखभाल करना, मेरी दिनचर्या में शामिल था। कुछ दिन पहले मैने ख़ुद की जाँच करवाई जो कोरोना पॉजिटिव आई। मैने टेस्ट इसीलिए कराया जिससे मेरे से दूसरों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
मेरे पिताजी की मृत्यु मार्च 2013 में हो गयी उसके पश्चात मुझे बहुत सी तकलीफो का सामना करना पड़ा। मुझे अपनी पढ़ाई भी जारी रखनी थी और दो छोटी बहनो को भी पढ़ाना था और घर भी संभालना था बहुत सी दिक्कतों का सामने करने के उपरांत मैने सोच लिया की जितनी भी दिक्कत मुझे हुई है, मैं अपने सामने किसी और को नहीं होने दूँगा। तभी से मैं लोगो के लिए कार्य करने जुट गया जिसमे मुझे बहुत सुकून मिलता था। अब समाज कार्य करना मेरा passion बन गया है। मैने सोच लिया की अब मैं आगे पढ़ूँगा और हर बच्चे को स्कूल भेजूँगा जिसने कभी किताबें तक नहीं देखी हो। लोगो को अपने कार्यों के लिए जागरूक करूँगा व लोगो के हक़ के लिए लड़ूँगा, जिन्हें किसी कारणवश उनका हक़ नहीं मिल पाता है। हाल ही मे, मैं HIV/AIDS के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा था, वहाँ मैं लोगो को जागरूक करता था व जो हाई रिस्क जोन में आते थे उन्हें उनकी जाँच के लिए उन्हें प्रेरित करता था, जिससे ज्यादा लोगो में संक्रमण न हो और वह सावधानी बरत सके।
सरकार के रवैये ने किया निराश
चूंकि दिल्ली सिविल डिफेंस, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अंतर्गत आती है, और अभी इसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है दिल्ली सरकार ने हमें फ्रंट लाइनर तो कह दिया और हमारा विज्ञापन भी किया की कैसे दिल्ली सरकार लोगो के सेवा में जुटी हूँई है।
पर यहाँ मेरे कोरोना पॉजिटिव होने के उपरांत मुझे व मेरे परिवार को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली ना तो डिपार्टमेंट की तरफ से ना ही कोई सरकार की तरफ से आया। दिल्ली सिविल डिफेन्स जिसमें सामाजिक कार्य से जुड़े लोगों को वालंटियर बनाया जाता है, और आपदा के समय इन्हें अलग अलग जगहों पर सेवा कार्यो मे लगाया जाता है। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद, दिल्ली सिविल डिफेंस ने मुझे बदहाल स्थिति में छोड़ दिया और मेरे पास अभी तक किसी भी प्रकार की मदद नही पहुँची है। आपदा के समय देश के लिए कार्य करनेवाले युवाओं के लिए सरकार का ऐसा व्यवहार निंदनीय है।
आइसोलेशन
डॉक्टर की सलाह के बाद मैने आइसोलेशन का नियम पालन करते हुए मैं अपने घर पर ही आइसोलेटेड हूँ और मेडिकल टीम की सलाह पर अपना ख्याल रख रहा हूँ, मुझे साँस लेने में कभी कभी तकलीफ हो रही है, लेकिन यह पीड़ा असहनीय बिल्कुल नही है। डॉक्टर की तरफ से मुझे किसी भी तरह का कोई दवाई नही दी गई है, जबकि मुझे सिर्फ गुनगुने पानी का सेवन करने की सलाह दी गई है। मेरे अनुभव के अनुसार हम बीमारी से अधिक डर के कारण परेशान हैं, जो जानलेवा भी हो सकता है।
समाजिक भेदभाव
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद कुछ लोगों ने मेरे ऊपर टिप्पणी करना शुरू कर दिया जो कहीं न कही मनोबल कम करने वाला था। लेकिन मैने उनकी बातो पर गौर नहीं किया। मैं अब भी कोरोना से लड़ रहा हूँ और जल्द ही जीतूगाँ भी। लोगो के मन में जो कोरोना का डर बैठ गया है, इसके डर को निकालने की जरुरत है। इसके लिए मैं ज्यादा से ज्यादा लोगो को जागरूक करना चाहूगाँ। ताकि लोग इससे डरे नहीं, अपितु अपनी पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ लड़े। संभवतः जीत निश्चित है।