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सार्वजनिक स्वास्थ्य समूहों और चिकित्साकों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 2024-25 के बजट में तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाया जाए। वित्त मंत्रालय से की अपील में उन्होंने सिगरेट, बीड़ी और धुआं रहित तंबाकू पर स्वास्थ्य कर बढ़ाने की मांग भी की है। टाटा मेमोरियल अस्पताल में कैंसर सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक, तंबाकू एक छिपी हुई महामारी है, जिससे हर साल 13 लाख भारतीयों की मौत हो रही है।
कोविड जैसी महामारी से तीन वर्ष में करीब 5 लाख लोगों की जान गई थी। यह देश के हित में है कि तंबाकू उत्पादों को युवाओं और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से दूर रखा जाए। विशेषज्ञों के मुताबिक उत्पाद शुल्क में वृद्धि तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने का किफायती और प्रभावी उपाय है।
अध्ययन के मुताबिक 10 वर्षों में सिगरेट, बीड़ी और धुआं रहित तंबाकू उत्पाद तेजी से लोगों की पहुंच में आए हैं। भारत में तंबाकू उत्पादों पर कर डब्लयूएचओ की सिफारिशों से कम है। डब्ल्यूएचओ सभी तंबाकू उत्पादों पर कम से कम 75 फीसदी कर की सिफारिश करता है, जबकि भारत में सिगरेट पर कुल कर भार 49.3 फीसदी, बीड़ी पर 22 फीसदी और धुआं रहित तंबाकू पर 63 फीसदी है।
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